BA Semester-1 Pracheen Bhartiya Itihas - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

अध्याय - 5

सिन्धु सभ्यता के साथ वैदिक सभ्यता का अन्तर्सम्बन्ध

(Interconnection Between Indus Civilization and Vedic Civilization)

 

प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।

 

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. सिन्धु सभ्यता के नगर नियोजन का वर्णन कीजिए।
अथवा
सिन्धु सभ्यता के नगर नियोजन पर प्रकाश डालिए।
2. सैन्धव सभ्यता के सामाजिक जीवन पर लघु लेख लिखिए।
अथवा
सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक जीवन का वर्णन कीजिए।
3. सैन्धव सभ्यता के आर्थिक जीवन की समीक्षा कीजिए।
4. सिन्धु सभ्यता के धार्मिक जीवन की समालोचना कीजिए।
5. सैन्धववासी शान्तिप्रिय थे। इस कथन के प्रकाश में इस काल का राजनीतिक जीवन स्पष्ट कीजिए।
6. सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक पहलुओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्व या प्रमुख विशेषताएं

 

सिन्धु घाटी सभ्यता, जो अत्यधिक विकसित नागरिक अनुशासन और अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करती है, केवल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो तक ही सीमित नहीं थी, जैसाकि पहले माना जाता था। पिछले 80 या इससे अधिक वर्षों में हिमालय और पश्चिमी भारत के मध्य अनेक स्थानों की खोज की गई है, जहां पर खुदाई से भारत में हड़प्पा संस्कृति के दूर-दूर तक फैले होने का पता चलता है। इनमें विभिन्न स्तर पर एकरूपता पाई गई है, ये विशिष्ट तत्व निम्नवत् हैं-

1. नगर-विन्यास

भारतीय इतिहास में नगरों का प्रादुर्भाव सर्वप्रथम सिन्धु घाटी सभ्यता में हुआ। नगर एक ऐसा विशाल जनसमूह होता है जिसकी जीविका प्रधानतः उद्योग धन्धों तथा व्यापार-वाणिज्य पर निर्भर करती है। व्यावसायिक उत्पादनों के विनिमय द्वारा उसे ग्रामों में खाद्यान्न प्राप्त होता है। सिन्धु घाटी सभ्यता अपनी नगर योजना और भवन निर्माण कला के लिए प्रसिद्ध थी। मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा के नगर आकार में काफी बड़े थे और एक सुनिश्चित योजना के आधार पर बने थे। नगरों का अपना-अपना दुर्ग था जिसमें शासक वर्ग के लोग रहते थे। ये दुर्ग कुछ ऊँचाई पर बने थे और इनकी नीची भूमि पर जन- साधारण ईंटों के बने भवनों में रहते थे। ग्रिड प्रणाली इन नगरों में बने घरों की एक प्रमुख विशेषता थी। यहाँ की ईटों की लम्बाई व चौड़ाई आदि आधुनिक काल की अंग्रेजी ईंटों के बिल्कुल समान हैं।

घरों के स्नानागारों और शौचालयों की नालियों को शोषक गत्तों के साथ जोड़ दिया गया था। यह विशद् जल निकास व्यवस्था सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषता मानी जाती है। सम्भवतः यह एक प्रभावी नगर पालिका के कारण से हो सका होगा। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा दोनों में धान्य कोठारों की विद्यमानता से प्रकट होता है कि अनाज के उत्पादन तथा वितरण पर किसी न किसी का नियन्त्रण था। नगर का नक्शा इस प्रकार का बनाया गया था कि उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली सड़कें एक दूसरे को 90° पर काटें व नगर को आयत में बाँट दें। कुछ भवन सार्वजनिक प्रयोग के भी थे जैसे वृहद् स्नानागार, सभा भवन, अन्नागार आदि। कुछ मकानों का प्रयोग मन्दिरों या पूजा स्थानों या सार्वजनिक सभा भवनों के रूप में होता रहा होगा। दरवाजे व खिड़कियाँ लकड़ी के होते थे व कुछ भवन एक से ज्यादा मंजिलों के पाए गये हैं।

2. सामाजिक जीवन

सिन्धु घाटी की सभ्यता के अवशेषों से ज्ञात होता है कि सारा समाज चार भागों में बंटा था-

(i) विद्वान, इस वर्ग में पुरोहित, वैद्य, ज्योतिषी आदि आते थे,

(ii) योद्धा, इस वर्ग में सैनिक व राजकीय अधिकारी आते थे,

(iii) व्यवसायी, इस वर्गे में व्यापारी तथा विभिन्न उद्योगों में काम करने वाले लोग आते थे व

(iv) श्रमजीवी, इस वर्ग में घरेलू नौकर तथा मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग सम्मिलित थे।

मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा की खुदाई में प्राप्त अवशेषों से यह ज्ञात होता है कि सिन्धु सभ्यता के लोगों का सामाजिक जीवन काफी उन्नत था। उनकी सभ्यता में समाज की इकाई परिवार था। खुदाई में प्राप्त नारी मूर्तियों के आधार पर इन परिवारों के मातृसत्तात्मक होने का निष्कर्ष निकाला जाता है। ये लोग शान्तिप्रिय और युद्धों से घृणा करते थे।

भोजन - सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का भोजन सादा व पौष्टिक था। इनका प्रधान भोजन गेहूँ तथा जौ था क्योंकि ये दोनों अनाज खुदाई में मिले हैं। ये लोग चावल भी खाते थे और इसकी खेती करते थे। खजूर की गुठलियाँ तथा अन्य अवशेषों से भी प्रतीत होता है कि फल तथा सब्जियाँ भी इनके भोजन में शामिल थे। ये लोग दूध तथा दूध से बनी वस्तुओं का भी प्रयोग करते थे। सैंधव लोग मछली, भेड़ तथा सुअर का माँस, अण्डे, कछुआ आदि खाते थे। ये लोग रोटी बनाना जानते थे। खुदाई में मिठाई के भी. सांचे मिले हैं। सिल बट्टे का पाया जाना इस बात का प्रतीक है कि ये लोग स्वादिष्ट भोजन खाने के शौकीन थे।

वस्त्र - सिन्धु सभ्यता के लोग सूती व ऊनी दोनों प्रकार के कपड़े पहनते थे। वे सिले हुए वस्त्र पहनते थे। इसके साक्ष्य मिले हैं। महिला व पुरुष के कपड़ों में कोई विशेष अन्तर नहीं था। सिर पर महिलाएं पगड़ी भी बाँधती थीं।

आभूषण सिन्धु सभ्यता के स्त्री-पुरुषों को आभूषणों का शौक था। हार, भुजबन्द कर कंगन तथा अंगूठी स्त्री-पुरुष दोनों ही पहनते थे परन्तु करधनी, नथनी, बाली तथा पायजेब केवल स्त्रियाँ ही पहनती थीं। ये आभूषण भिन्न धातुओं तथा जवाहरात के बने होते थे। धनी लोगों के आभूषण सोने, चाँदी, सूर्यकांतमणि, सुलेमानी पत्थर, गोमेद रत्न हाथी दाँत आदि के बने होते थे जबकि गरीब लोगों के आभूषण ताँबे, अस्ति (हड्डी), सीपी तथा पकी हुई मिट्टी के बने होते थे। हाथी दाँत की कंघी व पीतल के दर्पण प्रयोग में लाए जाते थे।

सौन्दर्य-प्रसाधन - का उपयोग सिन्धु सभ्यता के लोग आधुनिक स्त्री-पुरुषों की भाँति रूप सज्जा के बड़े शौकीन थे। विशेषकर केश श्रृंगार में उनकी बड़ी रुचि थी। स्त्रियों में लम्बे-लम्बे बाल रखने, माँग भरने तथा जूड़ा बाँधने का रिवाज था। वे अपने सिर पर सोने, चाँदी या ताँबे के आभूषण पहनती थीं और माथे पर चोटी बन्द लटकाती थीं। पुरुष छोटी दाढ़ी और मूँछे रखते थे किन्तु कुछ लोग मुँह साफ करवा लेतेथे। स्त्रियाँ होठों पर लाली तथा चेहरे पर पाउडर लगाती थीं। काजल, सुरमा सिंदूर व श्रृंगारदान का उल्लेख मिलता है।

आमोद-प्रमोद - सैन्धव लोग नृत्य-गायन व घरों के अन्दर खेले जाने वाले खेल पासा, शतरंज आदि के शौकीन थे। वे शिकार भी करते थे तथा बच्चों के दिल बहलाव के लिए अनेक प्रकार के खिलौने झुनझुने, सीटियाँ, बैलगाड़ियाँ आदि प्रयोग करते थे।

3. आर्थिक जीवन

सैन्धव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी अतः अधिशेष उत्पादक कृषक वर्ग आवश्यक था। हलों का प्रयोग अवश्य होता रहा होगा। सिंचाई के लिए बाँध व नहरों के प्रमाण पाए गए हैं। फलों में केला, तरबूज, नारियल, खजूर, अनार, नीबू का उत्पादन तिल, मटर, गेहूँ, चावल, ज्वार, बाजरा के अतिरिक्त किया जाता था। अन्नागार शहरों में पाए गए हैं। पशुपालन भी होने लगा था। कपास उत्पादन व कपड़ा बुनने का भी प्रमाण पाया गया है। कपड़ों की कढ़ाई व बर्तनों पर रंगाई का भी कार्य होता था। मुहर निर्माण व मनका निर्माण चरम पर था। चाक पर बर्तन बनाना, आभूषणों का निर्माण करना आदि अन्य प्रमुख उद्योग थे। ईट उद्योग व नावें बनाना भी शुरू हो चुका था। किन्तु विभिन्न प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं के कच्चे माल के लिए उन्हें पड़ोसी देशों से वस्तु विनिमय द्वारा व्यापार पर आश्रित होना पड़ता था। सिन्धु सभ्यता के लोग राजस्थान, अफगानिस्तान तथा ईरान के साथ व्यापार करते थे। मेसोपोटामिया से भी व्यापार के उल्लेख प्राप्त होते हैं। माप तथा बाँट आज की ही भाँति प्रयोग में लाए जाते थे तथा तराजू का भी प्रयोग किया जाता था।

4. धार्मिक जीवन

सिन्धु सभ्यता के लोगों में मातृ-देवी के रूप में स्त्री-पूजा प्रचलित थी। हड़प्पा की खुदाई में प्राप्त एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकला हुआ दिखता है जो भूमि की उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। एक योगी की मूर्ति पाई गई है जो शिव से सम्बन्धित मानी जाती है। ये लोग लिंग तथा योनि की पूजा भी करते थे। वे वृक्षों तथा पशुओं की पूजा इस विश्वास तथा श्रद्धा के साथ करते थे कि इनमें देवी-देवता निवास करते हैं। इन लोगों ने अगिशालाएँ बना रखी थीं जहाँ अगि तथा अगिदेवताओं को बलि दी जाती थी। सिन्धु सभ्यता के प्रत्येक घर में कुएँ तथा स्नानागार का पाया जाना भी उन लोगों के जल देवता में विश्वास का प्रतीक है। बड़े स्नानागार का पाया जाना भी यह सिद्ध करता है कि विशेष धार्मिक अनुष्ठानों, राष्ट्रीय उत्सवों तथा विशेष समारोहों के अवसर पर लोग नदी अथवा तालाब अथवा झील आदि में सामूहिक रूप से स्नान करने को पवित्र मानते थे। वे पुनर्जन्म में विश्वास रखते थे। इसका प्रमाण मृत्योपरान्त शवाधान प्रक्रिया से स्पष्ट होता है।

5. राजनैतिक संगठन

सैंधव नगरों की शासन व्यवस्था के विषय में केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा का शासन सुदृढ़ दुर्गों द्वारा होता था। इन दुर्गों में बहुसंख्यक केन्द्रीय अधिकारी निवास करते थे। वे सार्वजनिक भवनों का निर्माण तथा जीर्णोद्वार कराते तथा श्रम मूल्य तथा भार आदि में एकरूपता स्थापित करने का प्रयास करते थे। सम्भवतः उनका एक राजा होता था और एक पुरोहित होता था जिसके माध्यम से देवता के प्रतिनिधि के रूप में वह शासन करता था। जनता से कर के रूप में अनाज लिया जाता था। प्रत्येक नगर के विभिन्न भागों में प्रायः रक्षकों की भी व्यवस्था थी। सैंधव सभ्यता के विस्तार के बावजूद भी उसमें जो एकरूपता दिखाई देती है उससे ऐसा लगता है कि हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो क्रमशः उत्तरी तथा दक्षिणी भाग के शासन केन्द्र थे। सैन्धव शासक युद्धप्रिय नहीं थे तथा विजय एवं साम्राज्य विस्तार में उनकी रुचि नहीं थी। इसकी अपेक्षा वे व्यापार विस्तार में रुचि लेते थे। कुछ विद्वानों की मान्यता थी कि इस समय का शासक वणिक् वर्ग के हाथों में था। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो की खुदाइयों में तीर-कमान, खंजर, नेजे, भाला, कुल्हाड़ी, तलवार आदि प्राप्त हुए हैं। ये सभी आक्रामक हथियार थे। इसी प्रकार ढाल तथा कवच की तरह वे सुरक्षात्मक अस्त्र-शस्त्र भी इन लोगों के पास थे। संभवतः ये लोग लोहे का प्रयोग करना नहीं जानते थे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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